Tuesday, 12 April 2016

There is a line in the statement of Telangana drought story - women moving in a straight line

Nalgonda: Aruna is four months pregnant ... The 22-year-old woman suddenly had a miscarriage last year, and he was advised not to take any kind of weight, but Nalgonda dry, barren lands, its heat scorched by the first rays of the sun coming out every morning as well as Aruna well out of the house for about 15 minutes on foot to reach ... there he is, standing patiently in a long queue of women, in which large numbers Aruna are older than about 20 kg load ... then two large pots balanced on their heads, she returns home,


He knows very well that it could cause a threat to her health ... The doctor had warned him that he should not lift any heavy thing at all ... but she says, 'My mother had surgery he can not walk, so there is no choice ... 'so, the drought menace struggled this earth may be the story of the narrator in a row - in a straight line moving women who link ends sun shining pots are visible ... Aruna said, 'Men sometimes do not help to bring water to fill, and the fights will begin at the house, because so much time is being spent in fetching water cooking and taking care of our children, leaving little time for other work, such as household 

Aruna's mother over the age of Maroni village, like most women in the health center near the village oversaw sterilization ... that have brittle bones, women complain Hormonl changes, and hard physical labor ... but do not care for her son and husband ...

Maroni says, 'you ask them to bring a small pot filled water they bring ..
To stay alive in areas suffering from drought also contributes to pets, so they are extremely important, but they are thirsty ... So, my four-year-old daughter Aruna loins with Vaishali is ready johad water on your pet to move, about two kilometers away from their home ...

Telangana has been rocked by three consecutive years of drought ... in June 2014 to become the new state of Andhra Pradesh since slip more than 2,100 farmers have committed suicide ... the debt is increasing, the family starved are dying and suffering of the people of the earth, these were not necessarily Pasijti


नालगोंडा: अरुणा चार महीने से गर्भवती है... इस 22-वर्षीय युवती का पिछले साल अचानक गर्भपात हो गया था, और उसे किसी भी तरह का वज़न नहीं उठाने की सलाह दी गई थी, लेकिन नालगोंडा के सूखे, बंजर खेतों को अपनी तपिश से झुलसाने के लिए हर सुबह निकलने वाले सूरज की पहली किरण के साथ ही अरुणा घर से निकलकर लगभग 15 मिनट पैदल चलकर कुएं तक पहुंचती है... वहां वह सब्र के साथ महिलाओं की लंबी पंक्ति में खड़ी होती है, जिसमें बहुत-सी महिलाएं अरुणा से भी बड़ी उम्र की हैं... इसके बाद लगभग 20 किलोग्राम वज़न के दो बड़े-बड़े बर्तनों को सिर पर संतुलित करती हुई वह घर लौटती है...

वह भली-भांति जानती है कि यह काम उसकी सेहत को काफी नुकसान पहुंचा सकता है... डॉक्टर ने उसे चेतावनी दी थी कि उसे कोई भी भारी चीज़ कतई नहीं उठानी चाहिए... लेकिन वह बताती है, "मेरी सास का ऑपरेशन हुआ है, वह चल भी नहीं सकतीं, इसलिए कोई और चारा ही नहीं है..." सो, सूखे की विभीषिका से जूझती इस धरती की कहानी एक पंक्ति में बयान की जा सकती है - एक सीधी पंक्ति में चलती महिलाएं, जिनके सिरों पर कड़ी धूप में चमकते बर्तन दिखाई दे रहे हैं...अरुणा के मुताबिक, "पानी भरकर लाने में पुरुष कभी मदद नहीं करते, और उसी वजह से घर में झगड़े शुरू हो जाते हैं, क्योंकि पानी लाने में ही इतना ज़्यादा वक्त खर्च हो जाता है कि हमारे पास खाना पकाने और बच्चों की देखभाल करने जैसे घर के बाकी कामों के लिए वक्त नहीं बचता..."

अरुणा की सास मरोनी ने गांव की ज़्यादा उम्र की अधिकतर महिलाओं की तरह ही गांव के पास मौजूद स्वास्थ्य केंद्र में नसबंदी करवाई थी... अब महिलाएं हड्डियों को भुरभुरा कर देने वाले हॉरमोनल बदलावों की शिकायत करती हैं, और उनके लिए शारीरिक श्रम मुश्किल है... लेकिन उनके बेटे और पति परवाह नहीं करते...

मरोनी बताती हैं, "आप उनसे एक छोटा-सा बर्तन भी पानी भरकर लाने के लिए कहते हैं, वे नहीं लाते..सूखे से पीड़ित इलाकों में ज़िन्दा रहने के लिए पालतू पशुओं से भी काफी योगदान मिलता है, सो, वे बेहद महत्वपूर्ण होते हैं, लेकिन यहां वे भी प्यासे हैं... सो, अरुणा अपनी चार-वर्षीय बेटी वैशाली के साथ कमर कसकर तैयार है अपने पालतू जानवरों को पानी के जोहड़ की तरफ ले जाने के लिए, जो उनके घर से लगभग दो किलोमीटर दूर है...

तेलंगाना लगातार तीसरे साल सूखे का शिकार हुआ है... वर्ष 2014 के जून माह में आंध्र प्रदेश से कटकर नया राज्य बनने के बाद से अब तक 2,100 से भी ज़्यादा किसान आत्महत्या कर चुके हैं... कर्ज़ बढ़ते जा रहे हैं, परिवार भूखे मर रहे हैं, और यहां की धरती इन लोगों की तकलीफों से कतई पसीजती नहीं दिख रही है

No comments:

Post a Comment